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सुना था कभी बचपन में "खुदी को कर इतना बुलंद बन्दे, की हर तकदीर से पहले, खुदा तुझ से पूछे बोल तेरी रजा क्या है" जो लोग सफलता पाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं ये लाइनें उन पर फिट बैठती हैं. खुद को उसी धारा से जोड़कर चल पड़े हैं, अभी रास्ते में हूँ यही कहना ठीक है. सफलता के चरम को पा सकेंगे ये जुनून है दिल में, अभी इन्तजार है सही वक्त का. जब स्थितियां अनुकूल न हों, तो सही वक्त का इंतजार करना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। मुश्किल वक्त का प्रयोग खुद को मजबूत करने में करना चाहिए। स्लो-डाउन से तो लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, मेरा ये ब्लॉग एक कोशिश है, खुद को, अपने विचारो को दूसरों से विनिमय करने की. आपकी आलोचना भी सह सकता हूँ, क्योंकि मेरा मानना है की हमारे प्यारे आलोचक भी हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, प्रेरणा देने के लिए बस जरूरत है लेख के धरातल पर टिप्पणी नामक अंगूठा लगाने की. इसी उम्मीद के साथ आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है.....

रविवार, 29 जनवरी 2012

भारत के सुन्दर शिल्पकार महात्मा गांधी

  1. दोस्तों इस धरती पर अनेकों वीर और महापुरुष ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने अपने देश प्रेम को सर्वोपरि रखते हुए भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लिया तो भारतमाता का क़र्ज़ उतारने के लिए, उसे गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए अपनी जान तक देश पर कुर्बान कर दी। यदि उन्होंने भारतवासियों के लिए कार्य किया तो इसका पहला कारण तो यह था कि उन्होंने इस पावन भूमि पर जन्म लिया, और दूसरा प्रमुख कारण उनकी मानव जाति के लिए मानवता की रक्षा करने वाली भावना थी। ऐसे ही भारतमाता के सपूत, एक महान संत, पावन आत्मा, साधारण होते हुए भी असाधारण थे महात्मा गांधी ३० जनवरी को उनकी पुण्यतिथि के अवसर आइये उन्हें याद करें-


जीवन भर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहने वाले भारत के सुन्दर शिल्पकार महात्मा गांधी का जन्म हुआ, तब देश में अंग्रेजी हुकूमत का साम्राज्य था। हालाँकि देश के लिए हजारों-लाखों वीरों ने आजादी की उड़ान भरने के लिए अपनी आहुतियाँ दीं, उन अमर शहीद क्रांतिवीरों की क्रांति ने ब्रिटिश सत्ता को हिलाने का भरकस प्रयास किया था, परंतु अंग्रेजी शक्ति ने उस विद्रोह को कुचल कर रख दिया। अंग्रेजो के कठोर शासन में भारतीय जनमानस छटपटा रहा था। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अंग्रेज किसी भी हद तक अत्याचार करने के लिए स्वतंत्र थे। देश की नई पीढ़ी के जन्म लेते ही, गोरे अंग्रेजों तानाशाही और हुकूमत गुलामी की जंजीरों से उन्हें जकड़ रही थी। लगभग डेढ़ दशक तक अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को अपने पूर्वजों की जागीर समझकर देश पर एकछत्र राज्य किया।


देश की बेआवाज जनता को आवाज देने वाले मोहनदास करमचंद गाँधी को लोगों का अटूट प्यार मिला। हमारे देश के इतिहास में युगों-युगों तक इस महात्मा का आजादी के लिए योगदान सदैव याद रखा जायेगा। सत्य की शक्ति द्वारा उन्होंने सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त की और अंत में सफलता सफलता के चरम पर पहुँचकर ही दम लिया। गांधीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय, सच्ची लगन और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है । उनका संपूर्ण जीवन एक साधना थी, तपस्या थी। जब गांधीजी की मृत्यु हुई थी, तब तक देश पूरी तरह से आजाद हो चुका था, हमारे सामने नीला आकाश बाहें फैलाये कह रहा था- काली अंधियारी गुलामी की रातें ढल चुकी हैं, आज से तुम आजाद हो, स्वतंत्र हो, तुम्हें उन गोरे अंग्रेजों से, उनके अत्याचारों से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा मिल चुका है। इतिहास के पन्नों में मोहनदास का नाम और महात्मा का योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखा गया। गांधीजी का जीवन एक आदर्श जीवन माना गया। उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए देशवासियों ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधी दी।
भले ही कुछ वर्ग आज भी गांधी जी की नीतियों से असंतुष्ट रहता है लेकिन दोस्तों....स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के योगदान को भुला पाना आसान नहीं है । ब्रिटिश हुकूमत को छठी का दूध याद दिलाने वाले, दांडी यात्रा करने वाले इस महात्मा के कार्य मील का पत्थर साबित हुए। देशवासियों और जांबाज क्रांतिवीरों के सहयोग से उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता का वह सपना सच कर दिखाया, जिसे भारत के प्रत्येक घर में देखा जाता था। महात्मा गाँधी का जन्म भारत की इस पावन धरा पर शायद अपने देश और भारतवासियों के लिए ही हुआ था। बापू ने अपने लिए नहीं बल्कि हमेशा दूसरों के लिए ही संघर्षशील रहे। क्रमवार अंग्रेजी शासन के भारत भूमि से पांव उखाड़ने वाले गांधी ने भारतवर्ष और उसके नागरिकों के लिए अपना बलिदान भी दे दिया। 


सत्य को ईश्वर मानने वाले इस महात्मा की जीवनी किसी धार्मिक ग्रन्थ से कम नहीं है। वैसे भी माना तो यही जाता है कि कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता, कर्म के आधार पर ही व्यक्ति महान बनता है, इसे गांधीजी ने सिद्ध कर दिखाया। एक बात और वे कोई असाधारण प्रतिभा के धनी नहीं थे। सामान्य लोगों की तरह वे भी साधारण मनुष्य थे । रवींद्रनाथ टागोर, रामकृष्ण परमहंस, शंकराचार्य या स्वामी विवेकानंद जैसी कोई असाधारण मानव वाली विशेषता गांधीजी के पास नहीं थी । वे एक सामान्य बालक की तरह जन्मे थे। उन्होंने सत्य, प्रेम और अंहिंसा के मार्ग पर चलकर यह संदेश दिया कि आदर्श जीवन ही व्यक्ति को महान बनाता है ।


सचमुच गांधीजी साधारण होते हुए भी असाधारण थे। यह हमारे लिए, भारतवासियों के लिए, हिन्दुस्तानियों के लिए गौरव की बात है कि राष्ट्रपिता महात्मा जैसा व्यक्तित्व बस हमारे ही देश हिन्दुस्तान में जन्मा अन्य किसी देश में नहीं। 1921 में भारतीय राजनीति के फलक पर सूर्य बनकर चमके गांधीजी की आभा से आज भी हमारी धरती का रूप निखर रहा है। उनके विचारों की सुनहरी किरणें विश्व के कोने-कोने में रोशनी बिखेर रही हैं। अगर हम ये भी मान लें की महात्मा गाँधी ने जो किया वो इस देश के लिए पर्याप्त नहीं लेकिन मित्रों.... उन्होंने लेकिन जो भी किया उसे साथ लिए बिना भारतीय आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास हम अपनी आपने वाली पीढ़ी को सुना नहीं सकते समझा नहीं सकते। आज हमारा दुर्भाग्य है की गाँधी को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले, उनके बताये रास्ते का अनुसरण कर गोरे अंग्रेजों से भी कही ज्यादा दुष्ट, देश को खोखला कर देने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले अन्ना हजारे को आलोचना करने वाले चन्द सत्ताधारियों की कूटनीतिकरण का शिकार होना पड़ा..... हे राम ....!


रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम ...!
ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम, सबको सम्मति दे भगवान् ..!

- आपका रतन प्रकाश

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भारत के सुन्दर शिल्पकार महात्मा गांधी

  1. दोस्तों इस धरती पर अनेकों वीर और महापुरुष ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने अपने देश प्रेम को सर्वोपरि रखते हुए भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लिया तो भारतमाता का क़र्ज़ उतारने के लिए, उसे गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए अपनी जान तक देश पर कुर्बान कर दी। यदि उन्होंने भारतवासियों के लिए कार्य किया तो इसका पहला कारण तो यह था कि उन्होंने इस पावन भूमि पर जन्म लिया, और दूसरा प्रमुख कारण उनकी मानव जाति के लिए मानवता की रक्षा करने वाली भावना थी। ऐसे ही भारतमाता के सपूत, एक महान संत, पावन आत्मा, साधारण होते हुए भी असाधारण थे महात्मा गांधी ३० जनवरी को उनकी पुण्यतिथि के अवसर आइये उन्हें याद करें-


जीवन भर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहने वाले भारत के सुन्दर शिल्पकार महात्मा गांधी का जन्म हुआ, तब देश में अंग्रेजी हुकूमत का साम्राज्य था। हालाँकि देश के लिए हजारों-लाखों वीरों ने आजादी की उड़ान भरने के लिए अपनी आहुतियाँ दीं, उन अमर शहीद क्रांतिवीरों की क्रांति ने ब्रिटिश सत्ता को हिलाने का भरकस प्रयास किया था, परंतु अंग्रेजी शक्ति ने उस विद्रोह को कुचल कर रख दिया। अंग्रेजो के कठोर शासन में भारतीय जनमानस छटपटा रहा था। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अंग्रेज किसी भी हद तक अत्याचार करने के लिए स्वतंत्र थे। देश की नई पीढ़ी के जन्म लेते ही, गोरे अंग्रेजों तानाशाही और हुकूमत गुलामी की जंजीरों से उन्हें जकड़ रही थी। लगभग डेढ़ दशक तक अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को अपने पूर्वजों की जागीर समझकर देश पर एकछत्र राज्य किया।


देश की बेआवाज जनता को आवाज देने वाले मोहनदास करमचंद गाँधी को लोगों का अटूट प्यार मिला। हमारे देश के इतिहास में युगों-युगों तक इस महात्मा का आजादी के लिए योगदान सदैव याद रखा जायेगा। सत्य की शक्ति द्वारा उन्होंने सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त की और अंत में सफलता सफलता के चरम पर पहुँचकर ही दम लिया। गांधीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय, सच्ची लगन और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है । उनका संपूर्ण जीवन एक साधना थी, तपस्या थी। जब गांधीजी की मृत्यु हुई थी, तब तक देश पूरी तरह से आजाद हो चुका था, हमारे सामने नीला आकाश बाहें फैलाये कह रहा था- काली अंधियारी गुलामी की रातें ढल चुकी हैं, आज से तुम आजाद हो, स्वतंत्र हो, तुम्हें उन गोरे अंग्रेजों से, उनके अत्याचारों से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा मिल चुका है। इतिहास के पन्नों में मोहनदास का नाम और महात्मा का योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखा गया। गांधीजी का जीवन एक आदर्श जीवन माना गया। उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए देशवासियों ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधी दी।
भले ही कुछ वर्ग आज भी गांधी जी की नीतियों से असंतुष्ट रहता है लेकिन दोस्तों....स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के योगदान को भुला पाना आसान नहीं है । ब्रिटिश हुकूमत को छठी का दूध याद दिलाने वाले, दांडी यात्रा करने वाले इस महात्मा के कार्य मील का पत्थर साबित हुए। देशवासियों और जांबाज क्रांतिवीरों के सहयोग से उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता का वह सपना सच कर दिखाया, जिसे भारत के प्रत्येक घर में देखा जाता था। महात्मा गाँधी का जन्म भारत की इस पावन धरा पर शायद अपने देश और भारतवासियों के लिए ही हुआ था। बापू ने अपने लिए नहीं बल्कि हमेशा दूसरों के लिए ही संघर्षशील रहे। क्रमवार अंग्रेजी शासन के भारत भूमि से पांव उखाड़ने वाले गांधी ने भारतवर्ष और उसके नागरिकों के लिए अपना बलिदान भी दे दिया। 


सत्य को ईश्वर मानने वाले इस महात्मा की जीवनी किसी धार्मिक ग्रन्थ से कम नहीं है। वैसे भी माना तो यही जाता है कि कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता, कर्म के आधार पर ही व्यक्ति महान बनता है, इसे गांधीजी ने सिद्ध कर दिखाया। एक बात और वे कोई असाधारण प्रतिभा के धनी नहीं थे। सामान्य लोगों की तरह वे भी साधारण मनुष्य थे । रवींद्रनाथ टागोर, रामकृष्ण परमहंस, शंकराचार्य या स्वामी विवेकानंद जैसी कोई असाधारण मानव वाली विशेषता गांधीजी के पास नहीं थी । वे एक सामान्य बालक की तरह जन्मे थे। उन्होंने सत्य, प्रेम और अंहिंसा के मार्ग पर चलकर यह संदेश दिया कि आदर्श जीवन ही व्यक्ति को महान बनाता है ।


सचमुच गांधीजी साधारण होते हुए भी असाधारण थे। यह हमारे लिए, भारतवासियों के लिए, हिन्दुस्तानियों के लिए गौरव की बात है कि राष्ट्रपिता महात्मा जैसा व्यक्तित्व बस हमारे ही देश हिन्दुस्तान में जन्मा अन्य किसी देश में नहीं। 1921 में भारतीय राजनीति के फलक पर सूर्य बनकर चमके गांधीजी की आभा से आज भी हमारी धरती का रूप निखर रहा है। उनके विचारों की सुनहरी किरणें विश्व के कोने-कोने में रोशनी बिखेर रही हैं। अगर हम ये भी मान लें की महात्मा गाँधी ने जो किया वो इस देश के लिए पर्याप्त नहीं लेकिन मित्रों.... उन्होंने लेकिन जो भी किया उसे साथ लिए बिना भारतीय आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास हम अपनी आपने वाली पीढ़ी को सुना नहीं सकते समझा नहीं सकते। आज हमारा दुर्भाग्य है की गाँधी को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले, उनके बताये रास्ते का अनुसरण कर गोरे अंग्रेजों से भी कही ज्यादा दुष्ट, देश को खोखला कर देने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले अन्ना हजारे को आलोचना करने वाले चन्द सत्ताधारियों की कूटनीतिकरण का शिकार होना पड़ा..... हे राम ....!


रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम ...!
ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम, सबको सम्मति दे भगवान् ..!

- आपका रतन प्रकाश

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